Amritsir ka Pagal
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अमृतसर के पागलखाने में नया मरीज à¤à¤°à¥à¤¤à¥€ किया गया। उसका चेकअप करते हà¥à¤ à¤à¤• डाकà¥à¤Ÿà¤° ने कहा कि आप मानसिक रूप से तौ ठीक ठाक लग रहे हैं….. फिर यहां कैसे आ गये।
मरीज बोला डाकà¥à¤Ÿà¤° मैं ठीक हूं पर बात यह है कि कà¥à¤› समय पहले मैंने à¤à¤• विधवा से शादी की…… उसके à¤à¤• जवान बेटी थी….. मेरे पिता जी ने उससे शादी कर ली और फिर मेरी पतà¥à¤¨à¥€ मेरे पिता जी की सास बन गई। कà¥à¤› समय बाद मेरे पिता जी के घर बेटी पैदा हà¥à¤ˆ और वह मेरी सौतेली बहन बन गई। इसके अलावा वह मेरी नवासी à¤à¥€ थी। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मैं उसकी नानी का पति था। अब मेरे घर बेटा हà¥à¤†à¥¤ à¤à¤• तरफ मेरी सौतेली मां मेरे बेटे की बहन लगती थी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वह उसकी मां का बेटा था। दूसरी तरफ वह उसकी दादी लगती थी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वह मेरी मां à¤à¥€ थी। इस तरह मेरा बेटा मेरी मां का à¤à¤¾à¤ˆ बन गया। डाकà¥à¤Ÿà¤° साहब आप सोचो मेरे पिताजी मेरे दामाद और मैं उनका ससà¥à¤°…. इतना ही नहीं मेरी सौतेली मां मेरे बेटे की बहन यानि मेरा बेटा मेरा मामा और मैं अपने बेटे का à¤à¤¾à¤‚जा…… तà¤à¥€ अचानक डाकà¥à¤Ÿà¤° जोर-जोर से रोने लगा और उसने मरीज से पूछा कि मेरे बाप मैं कौन हूं.
Submitted by: Dipti Jain (May 20 2009)